गुरुवार, 18 अगस्त 2011

SNSAR KA APRADHI KARAN?

 {{{{{{संसार का अपराधीकरण  }}}}}
 जनम मरण के चक्कर में फसा  है सारा संसार 
  हाय तोओबा मची हैलूटपाट का चल रहा कारोवार/
  कर्म देखो हैवानियत भरे नही जीवन में कोईसुधार ?
 शैतानी आत्माएं लिए फिर रहे लोगों की जिन्दगी कर रहे दुसवार?
कर्मफल यशकीर्ति देते लेकिन  उनके बिगड़े हैं आचार विचार?
 भ्रष्टाचार कालाधन कालाबजारी मिलावट अपनी नियति बना ली,
सारे देश मे फैला रहे  व्यभिचारी बुरे विचार?
गर्म गोश्त दारू अपनीसंक्राति बनाडाली ,
२४ घटे उनमे रहते कुविचार?
 कहते अपने आगे भगवान्  क हाँ लगता है ?
 हमारे इशारों मोंत नाच ती,
हत्याएंउनका  बन गया व्यापार  ?

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